मेरे ख़्वाब

चलो ना  बादलों पर चलें

धुँए जैसे उड़ते उड़ते 

लगाए उनको गले 

 

नँगे पाँव से छू ले 

नीले गगन के तले

 

कोमल ठंडे ठंडे

जैसे रूई में हो पले

 

हाथों में ले लूँ 

मन में इक सपना चले

 

यहीं बस जाऊं और

भर लूँ  इनको पलकों तले

 

चलो ना बादलों पर चलें

...........!

 

सीमा कपूर चोपड़ा

दाहोद,गुजरात